मन माझिया स्वप्नांचा एक अस्ताव्यस्त कोपरा..
अडगळ, जळमट असली तरी..सात्विक अन खराखुरा..
मन माझ गुंतत, खंतत .. मन होतं कावरंबावरं ..
मन रंगीबेरंगी इंद्रधनू… मन जणू असंख्य फुलपाखरं…
मन आभाळ, मन पाऊस, मन ‘स्वीकारणारी’ पागोळी…
मन म्हणजे अंगण, दिव्यांची आरास.. मन दारात काढलेली रांगोळी..
मन म्हणजे हताश, निराश..मन म्हणजे जाचक पाश..
मन म्हणजे न संपणारे क्षितीज.. मन म्हणजे निळेभोर आकाश..
मन म्हणजे आभास.. मन अस्तित्वाचा आकार..
मन म्हणजे अनादी, अनंत सार.. मन म्हणजे आठवणींचे आगार..
kya baat.. kya baat.. kya baat…!!! Its rockingggg..!!!! khup chan.. khup chan.. khup chan…!!!!
man kalal bar ka………khup khup khup chan