तू कौन है..
रहती है कहा पता तो नहीं…
पतछड भी नहीं.. पत्ता भी नहीं…
डाली भी नै.. शाख भी नहीं…
फिर क्यों लहराती है हवा के साथ…
क्या रिश्ता है तेरा उसके साथ..
तू बादल बिजली… बारिश की बूंद नहीं..
तू कतरा कतरा ठहरता मूंद भी नहीं..
तू न हरियाली.. न भीगी हुई कोई आंगन की जमीं..
तू कौन है
रहती है कहा पता तो नहीं..
तू संदल की आग भी नहीं.. तू यमन का राग भी नहीं..
न जोग तेरा किसीसे न संग हुआ किसीसे..
फिरभी धड़कती है सांसो में क्यों..
न जवाब तू न सवाल तू.. ग़ज़ल कोई या नज्म तू..
खुली हुई किताब तू… खोई किसी पन्नो में तू…
तू कौन है
रहती है कहा पता तो नहीं..
तू कोई तो है… यही सुकून की बात है…
बाकि जिंदगी से कोई खता तो नहीं….
तू कौन है
_ अखिल..
अरे अखिल तुझा ब्लोग हिंदी झाला असे वाटते. असो पण कविता अप्रतिम लिहिली आहेस. तू कौन है? कौन है भाई वो?
tu jo bhi hai,apni hai,
na mile to sapna,mile to sapni hai !
excellent………kafi hai 1 word aapki tarif k liye……….